चौधरी अजित सिंह बहुत शान्त स्वभाव के , छलबल कूटनीति से दूर , बेदाग छवि के किसान नेता थे ।

चौधरी अजित सिंह बहुत शान्त स्वभाव के , छलबल कूटनीति से दूर , बेदाग छवि के किसान नेता थे ।


#_शत्_शत्_नमन्_ 🙏🙏🙏



      मनुष्य के चले जाने के बाद ही गुण /अवगुण की परख होती है ! 
चौधरी अजित सिंह बहुत शान्त स्वभाव के , छलबल कूटनीति से दूर , बेदाग छवि के किसान नेता थे । उनका सबसे बडा दुर्भाग्य पूरे राजनीतिक जीवन में यह रहा कि किसान हित में अनेकों कार्य करने पर भी लोग उनकी तुलना उनके पिताजी से करते रहे जो असंभव था । दोनों के कार्य काल में हर दृष्टि से जमीन आसमान का अंतर था । 


         बडे चौधरी साहब देश की आजादी के पहले से राजनीति में सक्रिय हो गये थे । आजादी के लिए जेल भी काटीं । तब स्वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरु जी की पूंजीवादी नीति के विरुद्ध चौ चरण सिंह जी ने किसान व गरीब जनता के पक्ष में अथक परिश्रम करके अपना मुकाम बना लिया था । मुकाबले में केवल कांग्रेस थी ।
       छोटे चौधरी अजित सिंह जी ने जब राजनीति में प्रवेश किया तब तक राजनीति में धर्मवाद के साथ जातिवाद भी घुस चुका था । हर किसान जाति के नेता स्थापित हो गये थे । भारतीय किसान यूनियन के उदय ने भी चौधरी अजित सिंह को नुकसान ही पहुंचाया ।यह बात आज मैं अनुभव के साथ इमानदारी से लिख रहा हूं । जाट जाति भी बंटकर चारों तरफ बिखर गई । चौधरी चरण सिंह को अपना आदर्श बताने वाले भी अजित सिंह में हजार कमियां गिनाने लगे । चौधरी अजित सिंह के कामों को उतनी अहमियत नहीं मिली ।
        जरा सोचो ! यदि चौधरी अजित सिंह पश्चिम उत्तर प्रदेश सहित देश में 42 गन्ना मिलें न लगवाते तो आज गन्ने की क्या दुर्दशा होती ? छोटे चौधरी ना होते तो जाटों को आरक्षण नहीं मिलता । आज आप को यह बातें याद जरूर आयेंगी । यदि आपको लगता हैं कि चौधरी चरण सिंह जी और चौधरी अजित सिंह जी ने आप के लिए कुछ किया है तो सब घरों में झांकना छोड कर इस पीढी के अंतिम वारिस जयन्त चौधरी के हाथ मजबूत करो । धन्यवाद 
      नितिन सिरोही 

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